अवधारणा
अवधारणा
देश में अवधारणा जागृत है
कि लोग हर चुनाव में
एक खाका गढ़ते हैं
ये उम्मीदवार ऐसा होगा
हमारी उम्मीदें इससे है
हर प्रत्याशी यही सोच
एक जाल बुनता है,
कि सब वोट उसे मिले
मैं सिहासन पर
सब साहब सन्तरी
बन जाऊँ अगर मंत्री
एक उत्साह का
बवंडर चलता है
सब मन आशा की
आग मैं जलता है
एक अवधारणा
जो हर बार रूप बदलता है
फिर वहीं सबको छलता है I
