औरत हूँ मैं
औरत हूँ मैं
औरत हूँ मैं अस्तित्व है मेरा भी,
मैं हूँ सहनशीलता की मूरत भी।
सपनों का संसार है घर मेरा,
घर की जन्नत ममतामयी भी।
तिनका तिनका जोड़ घरौंदा बना ,
घरौंदे की नाविक और पतवार भी।
अपनी जिम्मेदारी सम्भालती,
प्यार मोहब्बत लूटाने वाली भी।
जीने की वजह घर संसार मेरा,
मुस्कराती हुई सौ बार उलझी भी।।
