और मैं मीरा से राधा हो जाऊं
और मैं मीरा से राधा हो जाऊं


रिमझिम सी बरसात
याद दिलाती है फिर वो रात
चाँद जब बादलों के पीछे छुपा था
कभी घूंघट ओढ़े कभी खोले खड़ा था
उसकी इस लुका छिपी के साथ
हम भी लुक छिप रहे थे
अलग अलग कोने में खड़े
इक दूजे को देख रहे थे
वो टप टप बरसता पानी
और वो रात में छलकती चांदनी
उसकी सिर्फ याद ही आज
भी सुकून दे जाती है
हर बारिश फिर तेरी याद दिला जाती है
पास तो तुम अब भी मेरे हो
पर दुनिया के डर के मारे थोड़े दूर खड़े हो
इंतजार है मुझे फिर चांदनी का
और चांदनी में भीगती फिर उस रात का
जब तुम सिर्फ मेरे थे
चाहे हम तब भी दूर खड़े थे
पर दिलो दिमाग से तो जुड़े थे
फिर से भीगना है मुझे तुम्हारी
चाहत की बरसात में
हाथ थाम कर चलना है फिर भीगी रात में
जहां कोई ना हो बस मैं और तुम हो
और बस बारिश का शोर हो
तुम मुझ में, मैं तुम में खो जाऊँ
और मैं मीरा से राधा हो जाऊँ।