STORYMIRROR

Monika Sharma "mann"

Inspirational

2  

Monika Sharma "mann"

Inspirational

और कितना चुप

और कितना चुप

1 min
144

घोर अपमान कब तक

सहेगी

तू है निश्चला

तोड़ बंधन किनारों के

आने तो दे वह बाढ़

जिसमें मनुष्यता बह जाए


तुझे स्वयं ही अपनी रक्षा

करनी होगी

खींचनी होगी लक्ष्मणरेखा

स्वयं के लिए

ये दुशासन तेरा चीर हरण

करते रहेंगे


बनना पड़ेगा तीखी

तलवार तुझे स्वयं के लिए

बहुत करा चुकी तू

अपमान अपना


अब इनकी बारी है

काट डाल सिर इनके

करनी तुझे तैयारी है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational