और कितना चुप
और कितना चुप
घोर अपमान कब तक
सहेगी
तू है निश्चला
तोड़ बंधन किनारों के
आने तो दे वह बाढ़
जिसमें मनुष्यता बह जाए
तुझे स्वयं ही अपनी रक्षा
करनी होगी
खींचनी होगी लक्ष्मणरेखा
स्वयं के लिए
ये दुशासन तेरा चीर हरण
करते रहेंगे
बनना पड़ेगा तीखी
तलवार तुझे स्वयं के लिए
बहुत करा चुकी तू
अपमान अपना
अब इनकी बारी है
काट डाल सिर इनके
करनी तुझे तैयारी है
