ॐ में बसा है ब्रह्मांड
ॐ में बसा है ब्रह्मांड
भगवान ब्रह्मा विष्णु शिव सब एक हैं,
हमारी प्रार्थना के केवल रूप अनेक है।
तीनों का संगम, त्रिमूर्ति ही संसार है,
ॐ में बसा है ब्रह्मांड, यही जीवन का सार है।।
शीतल गंगा जटा में, ज्वाला भरे नेत्र है।
मस्तक पर चन्द्रमा, कैलाश पुण्य क्षेत्र है।
कभी नीलकण्ठ, कभी दिगम्बर कहलाते हो
सृष्टि के संहारक, महादेव कहलाते हो।
तीनों का संगम, त्रिमूर्ति ही संसार है,
ॐ में बसा है ब्रह्मांड,यही जीवन का सार है।।
चतुर्भुज, नीलवर्ण तू ही कमल नयन है,
क्षीरसागर में वास, शेषनाग ही शयन है।
कभी नारायण, कभी पीताम्बर कहलाते हो
सृष्टि के परिपालन, वासुदेव कहलाते हो।
तीनों का संगम, त्रिमूर्ति ही संसार है,
ॐ में बसा है ब्रह्मांड,यही जीवन का सार है।।
चतुर्मुख, हिरण्यगर्भ तू ही पितामह है,
चारों वेद के निर्माता, हंस तेरा वाहन है।
कभी स्वयंमभू , कभी श्वेताम्बर कहलाते हो
सृष्टि के उत्पादक, सजृनदेव कहलाते हो।
तीनों का संगम, त्रिमूर्ति ही संसार है,
ॐ में बसा है ब्रह्मांड, यही जीवन का सार है।।