अतीत
अतीत
पीछे मुड़कर मत देखो
अतीत जैसा एक बुरा सपना है,
किसी के लिए है
कोणार्क का उजाड़ मुखशाला
किसके लिए जैसा कोइ
डरावनी भूतबंगला
किसी के लिए परित्यक्त मधुशाला है ।
जब कभी पीछे देखें,
तो कांपती है छाती
कभी-कभी आंखें भर जाती,
एक बार फिर उस उलटी धारा में
वापस जाने को कभी मन नहीं करता
अनजाने डर से छाती कांप उठती।
