असमानता की ऊंची दीवार
असमानता की ऊंची दीवार
असमानता की ऊंची दीवार,
मनुष्य को बांटे बारम्बार।
अमीर के पास धन का भंडार,
धनी और निर्धन में बट गया संसार।
अपने धन का दिखावा,
शानो-शौकत का प्रदर्शन,
मैं बेहतर, तू कुछ नहीं,
क्या भला उचित है?
दूसरे को कमतर समझना,
नीचा दिखाना, हैसियत तौलना,
बात-बात में बेइज्जती करना,
क्या भला उचित है?
यह खाई न बढ़ने पाए,
कुछ ऐसी जुगत लगाएं।
आओ, ऐसा संसार बनाए,
समभाव सर्वत्र फैलाएं।
न कोई ऊंचा, न कोई नीचा कहलाए,
न कोई बड़ा, न छोटा कहलाए।
दौलत से बहुत तोल लिया, दोस्तों!
अब दिलों से एक होकर दिखलाएं।