अपनी करनी
अपनी करनी
अपनी करनी से आदमी हंसता-रोता है
वरना हर आदमी जन्म से फूल होता है
बोते है पेड़ बबूल का,आम नही होता है
अपनी कर्म से कोई सुखी-दुःखी होता है
आंखों में उनके ही जिंदा ख़्वाब होता है
जिनके पास चट्टानों सा होंसला होता है
अपनी करनी से आदमी हंसता-रोता है
वरना हर आदमी जन्म से फूल होता है
एकमात्र वक्त का आईना सच होता है
बाकी हर रिश्ता जग में झूठा होता है
वही शख्स जग-कीचड़ में कमल होता है
जिसके घट में पारदर्शिता का जल होता है
अच्छी करनी से आदमी कोहिनूरा होता है
अच्छा व्यक्ति अमावस में पूनम चाँद होता है
अपनी करनी से आदमी हंसता-रोता है
वरना हर आदमी जन्म से फूल होता है।