अपनी ही प्रतिध्वनि
अपनी ही प्रतिध्वनि
अनगिनत ध्वनियों और
उनकी प्रतिध्वनियों के बीच से
खामोशी से बिना रुके चलते हुए
ध्वनियां बिखेरते हुये,
अब जहाँ हैं,
कुछ नही है यहाँ
अपनी ही ध्वनियों
और उसकी प्रतिध्वनियों के
सिवाय।
प्रार्थनाएं वापस आकर
मेरे पास ही गूंज रही हैं
कामनायें बिना आवाज़ खड़ी है
मेरे पास मेरी तरह ठहरी हुयी,
विश्वास आसन जमाये बैठा है
मेरे ही अंदर
प्रतीक्षा दरवाज़े पर खड़ी मेरे ही
मेरे पास आने की है
जैसे कोई एक ही अर्थ है
इतनी सारी ढेर सी ध्वनियों
और प्रतिध्वनियों का।
यकीनन ज़मीन पर हम मनुष्य हैं
और हमारी मनुष्यता आकाश में
भ्रमण कर रही है
उसे ज़मीन पर लाने का कार्य भी
हमीं को करना है
इतना सा अर्थ है ढेर सारी
प्रतिध्वनियों का
और कितने शब्द हैं
एक अदद इस काम के।
कितना अच्छा लग रहा है
यहां बस तुम्हारे होने से
जैसे कोई रास्ता बन रहा है
जैसे कोई दरवाज़ा खुल रहा है
सदियों से बन्द बन्द।