STORYMIRROR

Kumar ujjawal

Classics

4  

Kumar ujjawal

Classics

अपने

अपने

1 min
323

जो सबसे अपने होते हैं,

वही चेहरे से छिपे भाव समझते हैं।

हम मिलते तो हैं हजारों से,

गम छिपाते हैं वसुधा(संसार) भर से।


अपनापन का जब साथ मिला,

तानो में स्नेह का स्वाद मिला।

मन जो घुट - घुट कर रोता था,

अपना व्यथा(दुःख) न किसी से रोता था।


उसे हरियाली का ताज मिला,

मिट्टी को हीरे का उपहार मिला।

दूर जब जाते, हमसे अपने हैं,

मन घायल तब ही होता है।


सच है भैया इस संसार में,

अपनापन ही सबसे बड़ा धन होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics