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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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अपने प्रीतम से

अपने प्रीतम से

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मेरे प्रीतम अब तो कह दो ,जाओ तुम्हें स्वीकार किया।

हमने तो तुमको जब से देखा, एक तुम ही से प्यार किया।


याद करो तुमने ही एक दिन ,मेरे दिल को छीना था,

बिरह व्यथा के कारण मेरा ,मुश्किल हो गया जीना था,

सही बताओ मेरे इश्क का ,तुमने कभी इजहार किया।

हमने तो


अपने हुस्न का जलवा तुमने, इठला कर दिखलाया था,

अनजाने ही मेरे दिल ने, तुम से इश्क लड़ाया था,

नहीं निभाना था तो मेरा ,जीवन क्यों बेकार किया।

हमने तो


तेरी सूरत, तेरी सीरत मेरे दिल को भाई है,

ऐ बेदर्दी तेरी अदा से ,जान पर अब बनाई है,

अगर रुलाना ही था, तब फिर वशीकरण बेकार किया।

हमने तो


एक बार तो हे प्रीतम ,मेरे सम्मुख आ जाओ,

जी भर कर मैं तुम्हें देख लूँ, ऐसा दरश दिखा जाओ,

अगर फेरना ही था मुख तो, क्योंकर कर इतना प्यार दिया।

हमने तो


आह मेरे इस दिल की देखो ,कभी न खाली जाएगी,

ऐ-बेदर्दी एक न एक दिन ,तुमको भी तड़पाएगी,

तब फिर तुम को कहना होगा ,जाओ तुम्हें स्वीकार किया।

हमने तो


मेरे प्रीतम ! देखो मेरे दिल में आकर बस जाओ,

घना अंधेरा है जीवन में, निज प्रकाश फैला जाओ,

मेरी भी नैया पार लगा दो, कितनों को तुमने पार किया।

हमने तो....


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