अपनापन कहां है आज ?
अपनापन कहां है आज ?
दिखावटी जिंदगी में इतना व्यस्त है इंसान,
भूल गया असल प्यार और अपनापन कैसा होता है,
आधुनिक सुख सुविधाओं में इतना खो गया इंसान,
भूल बैठा वो कांधा जिस पर घूमी कभी दुनिया थी,
पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध में इतना बहक गया,
भूल गया कभी बचपन में मां की साड़ी को लपेटता था,
खुद में इतना उलझ गया इंसान,
अपनों के साथ बैठना भूल गया,
मोबाइल में इतना व्यस्त हो गया इंसान,
पास बैठें अपनों से बात करना भूल गया,
बड़ों का आशीर्वाद लेना जहां संस्कृति हुआ करती थी,
आज हाय हैलो ने उसका स्थान ले लिया,
सचमुच जब इंसान इतने आधुनिक हो गये,
तो वो प्यार अपनापन भी कहीं गुम सा हो गया,
बस दिखावटी प्यार और अपनापन रह गया,
और रह गया झूठी शान और दिखावा,
जब मोबाइलों से निकलकर थोड़ा अपनों के पास बैठोगे,
जब बड़ों के साथ साथ बैठकर खाना खाओगे,
माता पिता के पास बैठकर उनकी कहानियों को सुनोगे,
तब दिखेगा तुम्हें अपनापन उनकी बातों में,
वो प्यार उनकी आंखों में,
वो स्नेह दुलार उनके साथ कुछ बिताने में,
मत भूल इंसान,
दिखावा जिंदगी भर करता रह फिर भी संतुष्ट नहीं तू,
कुछ पल अपनों के साथ रह,
ज़िंदगी भर का सुख है वहां।