Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

V. Aaradhyaa

Abstract Tragedy

4.5  

V. Aaradhyaa

Abstract Tragedy

अपना अपना क्षितिज

अपना अपना क्षितिज

1 min
255


अपने अपने क्षितिज का माप देखना है,

अपने कर्मों की आंच पर भविष्य सेंकना है !


      कोई करता सदकर्म तो कोई करता धोखा है,

      ये जीवन तो सारे कर्तव्यों का लेखा जोखा है !


इस जीवन की बस एक यही है कहानी,

बचपन बीता तो आयी मदमस्त जवानी !


     बचपन तो बीता दिन ऐसे बिताए,

     कब कैसे करें क्या समझ ही न पाये !


मस्ती का आलम और ज़ालिम मौसम,

गये बीत दिन होश में तब हम आये !


        झोंके हवा के जहाँ भी हम जाते,

         माहौल ऐसा हम सब मिल बनाते !


वो प्यारे सलोने सुहाने से दिन थे,

 काश हम फिर से बच्चे बन जाते !


         आयी ज़वानी गृहस्थी का चक्कर,

         अपनी ही दुनिया में बने हम घनचक्कर!


शादी फिर बच्चे फिर आगे की प्लानिंग

 जब होश में आये तब शुरू हुई एजिंग !


          बचपन जवानी के दिन यूँ बीत जाते,

          पर बुढ़ापे के दिन काफ़ी लम्बे हो जाते!


एक-एक कर सब अपने हाथ छुड़ाते,

तन मन व सारे रिश्ते शिथिल हो जाते !


         ज़िन्दगी का बहीखाता जैसे ही भरा,

         आई मौत चुपके से और इंसान मरा !


सांस रहने तक इंसान का इंसान से नाता है,

 पर मूर्ख इंसा जिंदा रहते यह कब समझ पाता है!


   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract