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Bhawna Kukreti Pandey

Romance

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Bhawna Kukreti Pandey

Romance

अनुरागी हृदय

अनुरागी हृदय

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तुम प्रिय 

कितने सरल हो,

बस हंसते रहते हो 

सुनकर मेरी भावनाएं

तुम्हें लगता है 

ये महज तुम्हारे प्रेम में

डूबता उतराता 

मेरा हिय है 

किसी लापरवाह

मलंग जैसा।


प्रिय तुम्हारी 

अप्रतिम शालीनता

टोकती है 

धीमे से मुझे

मेरी कोमल भावनाएं

सार्वजनिक 

करने पर 

लेकिन मुझे 

तनिक बुरा नहीं लगता

बल्कि और रीझ जाता है 

तुम पर

मेरे अंदर का नन्हा बच्चा

अपनी इस शरारत 

पर।


तुम

आश्चर्यचकित होते हो

मेरी अभिव्यक्तियों पर,

जो बस 

न्योछावर हुई रहती है 

तुम पर

तुम्हे भय लगता है

कि मैं तुम्हे कहीं ज्यादा 

ही प्रेम करने लगी हूँ

तुम घबराते हो कि

कोई दिन 

ये हिय अपनी

सीमाये न लांघ दें

की कहीं मेरा यह प्रेम 

अवचेतन को

न प्रभावित

कर दे।



हां ,

सम्मोहित हूँ

मैं तुम्हारे मोह में 

नख से शिख तक

जानते हो प्रिय,

"हमारे दाम्पत्य"

जीवन में 

तुम्हारी यही सरल चेष्टाएं 

हर बार गुंथे जाती है 

तुमसे ही।


हर बार 

तुम मुझे 

मेरे ही हृदय की 

रंगभरी तरंगों को 

समझने की 

समझाने की 

कोशिश में

अनायास ही भर देते हो

मेरा जीवन 

अपने स्नेह की 

अरुणिम 

शीतलता से।


जब भी 

देख पाती हूँ 

समझती हूँ

कि कितना सज्जन 

निष्कपट और निस्पृह 

हृदय है तुम्हारा

मैं और अनुरक्त , 

समर्पित 

हो जाना चाहती हूँ ।


सच में,

कई कई बार

लगता है कि 

तुम्हें पता ही नहीं है 

तुम्हारे इस 

पवित्र अनुरागी

हृदय की

दिव्यता का

जो पवित्र कर देता है

अपनी आभा से

मुझे हर बार,

बार-बार !


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