STORYMIRROR

Sunil Kumar

Inspirational

3  

Sunil Kumar

Inspirational

अनुपम कृति

अनुपम कृति

1 min
133

नारी है विधाता की अनुपम कृति 

नारी से ही चलती है सृष्टि 

रूप अनेक नारी है रखती 

कन्या-युवती-गृहणी बनती

दुःख सदा अपनों के हरती

चंडी बन संहार दुष्टों का करती।

महिमा नारी की अपरंपार 

नारी है ममता का भंडार 

नारी से होते नर ध्रुव-प्रह्लाद समान 

नारी का करते हम सम्मान। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational