अंतिम पड़ाव का प्रेम
अंतिम पड़ाव का प्रेम
जीवन के इस अंतिम पड़ाव में
मैं -तुम नहीं अब हैं...हम एक साथ में,
जीवन के अंतिम पड़ाव में।
जीवन को सहेजा, संवारा जब एक साथ में,
अनगिनत उलझनों को,
सुलझाया तेरे प्यार ने,
मैं अकेला कुछ भी नहीं।
तेरे मिलने के बाद से ,
इस सत्य को आत्मसात किया
मैंने तेरे साथ से।
जीवन के अंतिम पड़ाव में,
मैं -तुम नहीं अब हैं.....हम एक साथ में
जीवन के इस अंतिम पड़ाव में।
अलग -अलग किनारे थे ....मैं- तुम।
अहसासों के आकाश के,
ख्वाबों के उड़ते परिंदे,
मुक्त उस एहसास से
तेरे प्रेम की अनंत धारा
बहीं किनारों के साथ में
खो कर अस्तित्व अपना
मैं तुम बहे असीमता के साथ में
जीवन के इस अंतिम पड़ाव में ,
मैं -तुम नहीं अब हैं .....हम एक साथ में।।