अनोखे रिश्ते
अनोखे रिश्ते
चलो तुम ही इस रिश्ते का कोई नाम रख लो
मैं तो बस इस रिश्ते के वजूद में ही खुश हूँ
ना खोने का डर है, ना पाने की ज़िद है
मैं तो बस तेरे साँसो के दायरे में ही खुश हूँ
यह जो अनकही फासले है हमारे दरमियान
मैं तो बस उसकी आजादीयों में ही खुश हूँ
ना लफ़्ज़ों के मोहताज है, ना फसानों की आरज़ू है
मैं तो बस हमारे खामोशियों में ही खुश हूँ
चलो तुम ही इस रिश्ते का कोई नाम रख लो
मैं तो बस इस रिश्ते के वजूद में ही खुश हूँ।