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बोधन राम निषाद राज

Abstract

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बोधन राम निषाद राज

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अँखियों से मोती छलके

अँखियों से मोती छलके

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अपने भक्तों को देके वरदान रे,

की अँखियों से मोती छलके।

माता भवानी की अँखियों से,

मोती छलके।।

मैया जी तो ऊँचे ऊँचे,

परबतों पर रहती है।

अपने प्यारे भक्तों की ये,

हर दुखड़े को हरती है।।

चढ़ गयी मैं तो दरश के,आशा लेके,

ऊँचा पहाड़ रे की अँखियों से..

माता भवानी ककी ..

मैहर वाली शारदा माई,

झोली सबकी भरती है।

जो भी रोते रोते जाते,

मनवांछित फल देती है।।

भक्तों हम भी जाकर देखें उसकी,

लीला अपार रे की अँखियों से....

माता भवानी की....

मैया जी की भवनों की,

शोभा सुन्दर न्यारी है।

ज्योति जले नैनों की उसकी,

शेरों की सवारी है।।

हनुमत बैठे उसकी लाल ध्वजा में,

रक्षक समान रे की अँखियों से..

माता भवानी की...


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