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Mayank Kumar

Abstract

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Mayank Kumar

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अनहोनी में एक होनी

अनहोनी में एक होनी

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एक अनहोनी में है एक होनी

उस होनी के साक्ष्य तुम हो

तब भी कहते रहते तुम हो

उस अनहोनी में क्या होनी है ?


जगत बनाने वाले को ही तुम

कल्पना का आदर्श कहते हो

तो क्यों न तुम यह मान रहे हो

तुम भी एक दिन कल्पना का

हिस्सा होने वाले हो !


अपने अंदर जाग गए तो

तब तुम शायद समझ जाओगे

पूरा ब्रह्मांड एक होनी है

अनहोनी में ही जीवन है

और जीवन भी एक अनहोनी है !


निरंकार ही एक सत्य है

या यूँ कह लो तुम

एक सत्य ही निरंकार हैं

अनहोनी ही एक होनी है

या एक होनी ही अनहोनी है !


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