"अंधेरे"
"अंधेरे"
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बहुत परेशान है, ये अंधेरे
सब दगा दे रहे, उसे चेहरे
जिसको माना उसने सगा,
उसने दिए, जख्म बड़े गहरे
गायब हो गये है, वो चेहरे
जैसे ही हुए, साखी सवेरे
जिन पर, बड़े यकीं थे, मेरे
उन्होंने लूटे, अंधेरे में सहरे
किस पर अब वो यकीं करे
सबने फायदे ओर मुंह फेरे
शर्मिंदा है, आजकल ये अंधेरे
सुन हमारी करतूतें हुए, बहरे
करते, मनुष्य खुद गन्दे कर्म
बदनाम होते है, बेचारे अंधेरे
जिन्होंने मित्र बनाया, इन्हें गहरे
ओर कर्म किये बहुत ही घनेरे
उन्होंने पत्थरों पर नाम उकेरे
ओर बने इतिहास प्रसिद्ध चेहरे
ये चुपचाप और शांति दूत अंधेरे
यूं दमकते, जूं नभ में तारे सुनहरे
कर्म करो आप तो बस चुपचाप,
सफलता मिलेगी तुम्हे, अपनेआप
कर्मज्ञानी और कर्मप्रेरक चितेरे
अंधेरे कर्म द्विप्ति से उगाते, सवेरे