अल्फाज
अल्फाज
हर नई सुबह की किरणें
मुस्कुराते हूए आती है
अल्फाजों कि सादगी में
दिलकश नजारा लाती है
देखता हूं आँखों से
नजारा हँसी वादियों का
गीत कोई गुणगुणाता हूँ
जिंदगी का
मै अल्फाज लिख देता हू
युही कुछ सोचकर
किनारे पर नाव आती है
लहरा लहराकर
खत जो मैने लिखा
हवाओ कों
पोहचा दो मेरा गीत
बसंत की बहार को
अल्फाज के बादल पर
लिखता हू अपने गीतो को सजाकर
गीत मेरे बरस जाऐ
सावन कि बरसात होकार
चमकते जुगनू खिलते फुल
अल्फाज मेरे मन की धून
बूंद बूंद पानी है
अल्फाज मेरे एक एक कहाणी है
रोशन कर चिराग उजाला है
अल्फाजों की खामोशी ने बहुत कुछ कहा है
रेगिस्तान की हथेली पर
अल्फाज की लकीरे खिचता हु
अक्स अल्फाजो का मै
दर्पण मे देखता हु
अल्फाजो की राह पर
चलता हु मुसाफिर बनकर
अल्फाजो से रूबरू हो जाता हु
हर एक नये मोड पर
कारवा अल्फाजो का चलता रहे
मंजिल मंजिल मिलती रहे
चाह चाह अल्फाजो की बढती रहे
अल्फाजो से दोस्ती बनी रहे
मैं लिखाता रहूँ
अल्फाज मेरे बोलते रहे
नये नये जीने के तरीके
खोजते रहे।