अकेला चाँद....
अकेला चाँद....
वो भी क्या दिन थे
चाँद को देखते-देखते ही सो जाते थे
जब माँ लोरी सुनाती थी
वो कभी गम नही महसूस करता
अकेला चाँद वो हमेशा खुश रहता है
चाँद सबको हँसाता है
वो हमें रात में सहारा देता है
गरजूओं को रोशनी भी देता है
चाँद भी हमपर बहुत सारे उपकार करता है
चाँद का रूप ही अलग है
जब भी हम देखते थे ऊसे
आज तो हम भी उसपे फिदा हैं!
