ऐसी मेरी मज़बूत बुनियाद!
ऐसी मेरी मज़बूत बुनियाद!


माँ और पिताजी, यही तो है,
जिन्होंने मेरा जीवन संवारा है,
यदि हो जाए इन्हें, कुछ भी,
तो होता गीला,
आँखों का किनारा है।
यही तो हैं,
मेरे जीवन की बहार,
जब भी हो मुझे कोई तकलीफ़,
बन जाते है जैसे,
एक मज़बूत दीवार!
यदि यह न हो,
तो समाप्त हो जाता है,
मेरे समस्त जीवन का सार,
इन्हें ही मानती हूँ मैं,
अपना समस्त संसार।
मेरे जीवन में इनकी जगह,
नहीं हो सकती किसी को प्राप्त,
मैं इन्ही से तो बनती हूँ,
इनके बिना मैं हो जाऊँगी समाप्त।
इनके रूप में मिला है मुझे
साक्षात ईश्वर से उपहार,
इनके लिए करूँगी,
सदा ईश्वर का आभार।