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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Abstract

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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

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ऐ जाते हुए साल

ऐ जाते हुए साल

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जाते हुए साल,

दे गया तू

कितने सवाल

कितने मलाल,

कितने सवाल,


दलाल सभी

मीडिया हाऊस बने

शेर की खाल में

कितने माउस तने


देश को जिंदा 

धारा 144 रखें

कायदा कानून 

विरोधों में जचें


सरकार ही देश को

चलाने लगी।

जनता को कीमत

बताने लगी।


काहे की जनता

जनार्दन रही।

काहे को जनता

सिर माथे रहे।

अब तो सब 

हाय हाय।


उन्नीस ने 

उन्नीस हैसियत दिखाई।

बीस आएगा

बीस की देगा मलाई।


देश की जनता 

सिर्फ वोट है।

मंत्रियों की गंदी

फटी लंगोट है।


देश के भाग्य विधाता

महलों में रहें।

सरकार उनसे 

कभी कुछ न कहें।


उन्नीस ने बीस की

बानगी दे गया।

की मुद्दों की

रवानगी दे गया।


हिटलरी चोला

जो खोला गया।

जनता के मुंह मे

अफीम घोला गया।


जमीनी मुद्दों को

धर्म का पाखंड खा गया।

कुर्सीधारी को भी 

बड़ा मजा आ गया।


कहने को बहुत 

कुछ विशेष है।

अभी तो जिल्द है

पुस्तक बांचना शेष है।


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