अग्नि परीक्षा
अग्नि परीक्षा
हर युग में देती अग्नि परीक्षा,
हर लम्हा है एक लांछन,
हर व्यथा में वह सीता है,
देनी पड़ती अग्नि परीक्षा,
वह बेटी पत्नी और बहू भी है,
तुलना में वह लक्ष्मी है,
फिर भी देती वह अग्नि परीक्षा,
समाज के इन नियमों से,
हर पल घुटती है जिंदगी,
क्यों नियमों की बेड़ियों में,
घुटती है घर की लक्ष्मी,
क्यों मजबूर है हर बार
देती अग्नि परीक्षा,
तोड़ दो इन बंधनों को,
हर नीति नियमों को,
क्यों सही हर पल संवेदना,
नारी का भी है अस्तित्व,
क्यों दे हर युग में अग्नि परीक्षा !
