अधूरी कहानी
अधूरी कहानी
वो गुनगुनाता हुआ एक गीत
हो कर बेख़बर चला जा रहा था
की कोई हर एक धून से उसके
खींचा चला जा रहा था।
ये शीतल सी ठंडी हवा,
वो चाँद की चाँदनी
के मज़े को यूँ जिए जा रहा।
की हर एक शब्द से उसके
मोती बहे जा रहा।
वो पेड़ों के पत्तें, वो पनघट का पानी
ये बगीचों के फूल और
ये उपवन निराली
सब तो वही है पर है
आज नई क्यों ये मेरी कहानी ?
ये ख्वाब मेरे मन में आये जा रहा,
की कैसे रोकूँ उसे
जैसे वो धरती को चूमता
और हो कर सुधबुध चला जा रहा ?
मैं दिवानगी में अपने झूमे जा रही थी
की तभी हुई यूँ तेज़ बारिश - उफ़
वो अधूरी रह गयी मेरी प्रेम कहानी,
और मेरे वो ख्वाब - जिसमें वो था
मेरा राजा और मैं उसकी रानी।