Sumedha Chaturvedi

Abstract

5.0  

Sumedha Chaturvedi

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मेरे ज़िस्म में छिपी कहीं

मेरे ज़िस्म में छिपी कहीं

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की कर लूं तुम्हें क़ैद

मैं अपने प्यार में

ये तमन्ना कहाँ थी मेरी।


की तू प्यार है मेरा 

और मुझे क़ुबूल है 

तेरी हर आज़ादी और खुशी। 


की तेरा जिस्म ढूंढता है

खुला आसमां और घर परिवार,

पर तेरी जान है, मेरे ज़िस्म में छिपी कहीं।


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