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Dr.Jenny shabnam

Drama

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Dr.Jenny shabnam

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अधिकार और कर्त्तव्य

अधिकार और कर्त्तव्य

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अधिकार है तुम्हें  

कर सकते हो तुम  

हर वह काम जो जायज नहीं है  

पर हमें इजाजत नहीं कि  

हम प्रतिरोध करें।


कर्तव्य है हमारा  

सिर्फ वह बोलना  

जिससे तुम खुश रहो  


भले हमारी आत्मा मर जाए,  

इस अधिकार और कर्तव्य को  

परिभाषित करने वाले तुम  

हमें धर्म का वास्ता देते हो  

और स्वयं अधर्म करते रहते हो।  


तुम्हारे अहंकार के बाण से  

हमारी साँसें छलनी हो चुकी हैं  

हमारी रगों का रक्त  

जमकर काला पड़ गया है  

तुम्हारा पेट भरने वाले हम, 

 

तुम्हारे सामने हाथ जोड़े,

भूख से मर रहे हैं  

और तुम हो कि हमसे

धर्म-धर्म खेल रहे हो। 

 

हमें आपस में लड़ा कर

सत्ता-सत्ता खेल रहे हो।  

तुमने बतलाया था कि  

मुक्ति मिलेगी हमें,

पूर्व जन्म के पापों से, 

 

गर मंदिर मस्जिद को हम,

अपना देह दान करें  

तुम्हारे बताए राहों पर चलकर,

तुम्हारा सम्मान करें।  


अब हमने सब कुछ है जाना  

सदियों बाद तुम्हें है पहचाना  

हमें मुक्ति नहीं मिली  

न रावण वध से  

न गीता दर्शन से  

न तुम्हारे सम्मान से  

न अपने आत्मघात से।  


युगों-युगों से त्रासदी झेलते हम  

तुम्हारे बतलाए धर्म को अब नकार रहे हैं  

तुमने ही सारे विकल्प छीने हैं हमसे  

अब हम अपना रुख़ मोड़ रहे हैं,  


बहुत सहा है अपमान हमने  

नहीं है अब कोई फरियाद तुमसे  

तुम्हारे हर वार का अब जवाब होगा  

जुड़े हाथों से अब वार होगा।  


हमारे बल पर जीने वाले  

अब अपना तुम अंजाम देखो  

तुम होशियार रहो, तुम तैयार रहो  

अब आर या पार होगा  

जो भी होगा सरेआम होगा।  


इंकलाब का नारा है  

सिर्फ तुम्हारा नहीं  

हिन्दुस्तान हमारा है।  


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