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aazam nayyar

Abstract Fantasy

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aazam nayyar

Abstract Fantasy

अच्छा नहीं देखा

अच्छा नहीं देखा

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माहौल नगर में यार अच्छा नहीं देखा!

हो प्यार गली दर गली ऐसा नहीं देखा


कैसे मैं उसे दोस्त मिलने किस गली जाऊं 

उसके घर का मैंने कभी रास्ता नहीं देखा 


लहजे में मुहब्बत की नहीं बात उसके है 

ऐसा किसी का भी यार लहज़ा नहीं देखा 


चलता हूँ नगर को आज उसके गांव से ही 

चेहरा ही बहुत दिन से ही उसका नहीं देखा 


जो कत्ल गया करके वफ़ा प्यार का अपने 

मैंने ही कहीं भी ऐसा धोखा नहीं देखा 


दिल टूट जाते है वफ़ा के नाम पे ही वो 

मैंने ही वफ़ा में वफ़ा मिलता नहीं देखा 


की मेरा जिसे देखकर दीवाना हुआ दिल 

ऐ "आज़म" कहीं भी ऐसा चेहरा नहीं देखा! 

आज़म नैय्यर 


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