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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Abstract

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

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अब्र - ए - सुखन

अब्र - ए - सुखन

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तन्हाई मुकद्दर है 

रूसवाई तख्खलुस है 

बे परदगी मौजू है 

तिश्नगी बाजु में है 

समंदर अश्क का हर सू है 

तू बता तू कौन है 

क्यूं पकड के खड़ा यादें 

वो गई छोड़ के 

तेरा क्या ले गई 

साथ जिसके गई 

साथ रहने की तो नहीं

तू बता तेरा क्या ले गई 

खुदा ने दी थी 

खुदा ने ले ली 

तू खाम्ख्वा परीशां है 

मोहब्बत में क्या रखा है 

झुक कर सलाम करना ही अच्छा है 

इबादते अब्र रोशन कर 

मुस्कुरा सब मिलेगा 

सब्र कर सब्र कर सब्र कर 

जिस जिस पे 

तिरा नाम लिखा रखा है  



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