अब नहीं दिल से जाना
अब नहीं दिल से जाना
इश्क की रात है, भीगे जज्बात हैं
ऐसे देखो न तुम, कोई तो बात है
डूब जाने दे मुझको, न होश मे लाना
हो.... अब नही दिल से जाना
हो.... अब नही दिल से जाना
इश्क की......................
नजरें कयामत ही ढा रही है
मुझको तो ऐसे तड़पा रही है
मैं आईना हूँ इन रँगतो का
फिर क्यों ऐसे शरमा रही है
मैं जानता हूँ ये चाहे कहे न
सजने लगा है कोई तराना
हो....अब नही दिल से जाना।
इश्क की................
बारिश की बूंदों मे भी चुभन है
छाने लगा क्यों दीवानापन है
महकी फिजायें, आग लगाये
बहकने लगा ये जिद्दी सा मन है
ख्वाहिश अधूरी कोई रहे न
चाहत का रिश्ता दिल से निभाना
हो....अब नही दिल से जाना।
इश्क की...............
खामोशियों को यूँ भूल जाओ
मैं चुप रहूँ तो तुम ही सुनाओ
मेरी वफाएँ तुम्हारे लिए है
ये इस जहाँ को अब है बताओ
हो के जुदा अब जीना पड़े न
आ कुछ ऐसा करके दिखाना
हो....अब नहीं दिल से जाना।
इश्क की..........

