Vijay Kumar parashar "साखी"
Tragedy
साथ नहीं देता है,अब कोई
पैसा नहीं देता है,अब कोई।
जब से हम कंगाल क्या हुए
रास्ता भी नहीं देता है,अब कोई
गरीब पैदा होना दोस्त गुनाह नहीं है,
गरीब मर जाना सबसे बड़ा गुनाह है
गरीब को साथ तो छोड़, दोस्त
कन्धा भी नहीं देता है अब कोई।
"गोवंश पर अत्...
"चमत्कार"
"दौर मुफ़लिसी ...
"दुआ-बद्दुआ,
"आंटा-सांटा"
"सिंदूर"
"बरसात"
"शांत और स्थि...
"दोगले इंसान"
कुछ दूर तक साथ चल कर, हमसे बिछड़ गए कुछ दूर तक साथ चल कर, हमसे बिछड़ गए
सपनों को ख़रीदने का जतन करती । बस्ता टाँगे पीठ पर सपनों को ख़रीदने का जतन करती । बस्ता टाँगे पीठ पर
चारो तरफ रिश्तों का मेला पर अंदर से हर इंसान अकेला! चारो तरफ रिश्तों का मेला पर अंदर से हर इंसान अकेला!
बेशर्मी की सारी हदें पार कर , अब बैठा हूँ शरीफ़ बन कर । बेशर्मी की सारी हदें पार कर , अब बैठा हूँ शरीफ़ बन कर ।
बच्चे बड़े हो कर परवाज़ भर जाते हैं. मीठे वादे, शरारती यादें सब घर में ही छोड़ जाते है बच्चे बड़े हो कर परवाज़ भर जाते हैं. मीठे वादे, शरारती यादें सब घर में ही छोड...
घर के आंगन को खुशियों से भर देती है वो बेटी होती है जो मकान को घर कर देती है! घर के आंगन को खुशियों से भर देती है वो बेटी होती है जो मकान को घर कर देती है...
तभी शायद पैसे वाले फलते-फूलते है और मजदूर वहीं का वहीं रह जाता है... तभी शायद पैसे वाले फलते-फूलते है और मजदूर वहीं का वहीं रह जाता है...
शब्दों की तकरार बन गई अब वार, दहेज की मांग का ना कर पाई तिरस्कार। शब्दों की तकरार बन गई अब वार, दहेज की मांग का ना कर पाई तिरस्कार।
जिस ज़मींदार ने उसकी एक आँख की ज़िम्मेदारी भी नहीं उठाई। जिस ज़मींदार ने उसकी एक आँख की ज़िम्मेदारी भी नहीं उठाई।
क्या समझाऊँ... किसे समझाऊँ क्योंकि सब समझ बैठे है की वो समझदार क्या समझाऊँ... किसे समझाऊँ क्योंकि सब समझ बैठे है की वो समझदार
खुशियों को ताक पर रख कर बच्चे काम पर जा रहे है। खुशियों को ताक पर रख कर बच्चे काम पर जा रहे है।
उनका यूं ही चले जाना तो मन को छल गया। उनका यूं ही चले जाना तो मन को छल गया।
शहर की चालाकी से दूर हम गाँव के गंवार बनके रह गए। शहर की चालाकी से दूर हम गाँव के गंवार बनके रह गए।
कैसे मान लूं, बात तुम्हारी समझा है कभी मुझको तुमने! कैसे मान लूं, बात तुम्हारी समझा है कभी मुझको तुमने!
टूटी ख़्वाहिशें, रूठी तकदीर है कोई क्या करे। टूटी ख़्वाहिशें, रूठी तकदीर है कोई क्या करे।
कितनी दर्द भरी दास्तां है, मेरी, खुद का ही दिल हारा लगता है कितनी दर्द भरी दास्तां है, मेरी, खुद का ही दिल हारा लगता है
मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ? मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ?
मेरी मां महान। मां' स्तनपान अमृत समान। मेरी मां महान। मां' स्तनपान अमृत समान।
हमें शायद याद नहीं होगा..... लेकिन वह लोग कैसे उस दिन को भूले होंगे.... हमें शायद याद नहीं होगा..... लेकिन वह लोग कैसे उस दिन को भूले होंगे....
ना जाने क्या क्या गलतियां की हैं मैंने! ना जाने क्या क्या गलतियां की हैं मैंने!