अब के आओ..(गजल एक प्रयास)
अब के आओ..(गजल एक प्रयास)
अब के आओ मिलने तो बात कर लेना
दिल में रखी भड़ास मुझ पे निकाल लेना
चुप न बैठना यूं बेवजह मेरे पास आकर
कुछ पुराना हो अगर हिसाब वो निकाल लेना।
बतियाना, मुस्कराना इन आंखों में देखकर
तबीयत अपनी देख मुझे खराब न कर लेना
झगड़ने के तुमको सौ बहाने फिर मिलेंगे
इस शाम का लुत्फ लेना इसे यूं जाया न करना।
माना पहले जज्बातों की बात होती थीं
हाथों में हाथ लिए हंसीं चांदनी रात होती थीं
खुशियां आंखों से झर झर बहने लगते थे
महक जाते थे जब मुलाकात की बात होती थीं।
राह के वो दरख़्त भी तुम्हारी याद में रो पड़ते हैं
हर फूल पत्थर भी बेसबब तुम्हें याद करते हैं
तस्वीर देख जब तुम दिल पर छाने लगती हो
घर के दरो दीवार चुपके से सुबकने लगते हैं।
तुम चली गई तो दिल पत्थर हो गया
ये जो बेपनाह इश्क था पल में यूं बिखर गया
उजड़ गई ये बसी बसाई दुनिया मेरी
उस रब से जो मांगा था वो आखिर क्यों छिन गया।
ज़ख्म इस दिल में ख्वाब मेरे घायल हैं
तेरी सोहबत में ये दिल का परिंदा पागल है
तुम चली गई तो इश्क बेज़ार हो गया
अच्छा भला था मैं अब बीमार हो गया।
सुना था दुआओं का असर भी होता है
दिल ए नादान इश्क में क्यों रोता है
मैं तेरी याद में जब दुनिया से विदा हो जाऊंगा
समझेगी मेरे इश्क का दर्द क्या होता है।
मोहब्बत तेरी याद में जब ख़ाक हो जायेगी
यूं तेरे इश्क में बेशक बर्बाद हो जायेगी
कुछ अधूरे ख़्वाब बेजान रह गए इन आंखों में
तेरी याद में आंखें बस खामोश रह जायेगी।
(गजल एक प्रयास)...!!