आज़ाद वतन
आज़ाद वतन


आज़ाद वतन की माटी अब हमसें कुछ हैं कह रहीं
कुछ बलिदान की बातें अब माटी फिर से चाह रहीं
आज़ादी का मतलब नहीं यह जो बलिदानी दे गये
आज़ाद वतन में बेटीयों ख़ातिर फिर बलिदान मांग रही
आज़ादी का मतलब नहीं जो आज वतन में हो रहा है
विकास तरक्की की बातें छोड़ो आज वतन रो रहा है
धोखा छल अब दिल में रखतें किसी फिरंगी से भी ज़्यादा
औरत नहीं है आज सुरक्षित अत्याचार संग उसके हो रहा है
आज़ादी का जश्न सभी तो हर साल मनाता है
आज़ादी फ़र्ज़ मग़र कोई क़भी नहीं निभाता है
आज़ाद वतन में भी तंगहाली गुलामों के जैसे हो,
तो शहीदों का दिल दुःखी आज़ाद वतन में होता है।।