आया रंगो का त्यौहार
आया रंगो का त्यौहार
आया रंगों भरा त्यौहार
लाया खुशियाँ भी हजार।
रंग,अबीर उड़े गुलाल
दिखे सबके चेहरे लाल।
ढोल-नगाड़े जमकर बाजे
बच्चे बूढ़े सब मिल नाचे।
छोड़ पुराने सारे झगड़े
आज रंगो में सब है जकड़े।
गीत-संगीत मन उत्सव सा है
देख गुजिया हर मन ललचा सा है।
रंग-बिरंगे चेहरे है
दिल में अरमां पूरे है।
सूखे रंगो और पिचकारी से
होली खेलना पर पूरी जिम्मेदारी से।
थोड़ी सावधानी अभी जरूरी सी है
दूरी तुम रखना भले थोड़ी है।
पर रंगो में रंगना खुद को
नहीं मिलता ऐसा मौका सबको।
भले इन्द्रधनुष बन जाना सबके
और दर्पण में देख स्वयं को मुस्कुराना जमके।
