आया मधुमास
आया मधुमास
सिहरन भागी शीत की, सखि आया मधुमास
नयनों में फिर है जगी, पिया मिलन की आस
धरती की शोभा सकल, था ले गया बटोर,
खिलखिल कर पादप हँसे, पतझर हुआ उदास
तृषित पपीहा देखता, व्याकुल नभ के छोर,
स्वाति - बूँद पाये बिना, मिटे न मन की प्यास
कुंज गली हर विपिन की, पुलकित साजे साज,
नटवर नागर साँवरा, रचे विविध विधि रास
कस्तूरी की चाह में, फिरे हरिण सब ओर,
दर दर भटकाती रहे, मनहर सुखद सुवास
उन्नति पथ हों अग्रसर, दूर करें निज विघ्न,
सदा सत्य का मान हो, करते रहें प्रयास
ईश्वर सब कुछ देखता, पातक से हों दूर,
अंतस्तल में हो बना, श्रीहरि का आभास।
