आवाह्न मनुष्य से
आवाह्न मनुष्य से
ए अंजान मनुष्य,
क्या तू अभी भी है,
अज्ञान उस ज्ञान से,
तू परिचित नहीं हैं क्या,
आने वाले उस काल से,
न जाने अपने स्वार्थ के लिए,
क्यों काट रहा तू, कानन अपार,
क्यों तू बिगड़ रहा प्रकृति के विधान,
ए मनुष्य आवाह्न है एक तुझसे,
कि तू है जिस ज्ञान से अनजान,
उससे आएगा एक दिन ऐसा काल,
फिर इस धरा पर न होंगी,
किसी प्राणी की साँस।।