माँ की याद
माँ की याद
सना मुख मेरा मेरी माँ
दुपट्टे से पोछती देती थी।
मै जरा भी रो दूँ उस के सामने
माँ सीने से लगा चूम देती थी।
ना जाने क्यों मै बड़ा हो गया
आज माँ से अलग खड़ा हो गया।
हो गया मै उस माँ से अलग
जो ना मिलूँ तो माँ रो देती थी
मेरे ज्यादा याद नहीं कुछ
घर की लड़ाई मेे माँ को रोते देखा है
सारा दिन काम करती मेरी माँ
रात में फिर भूखे सोते देखा है।
मिट्टी तेरे कदमों की
मैं चूम लिया करता था
तेरे पीछे पीछे ही मै
फिर घूम लिया करता था।
चूम लिया करता था तेरे गालों को
अब तेरा घर ये मेरा हो गया।
भाई भाई की लड़ाई मेे हुआ यूँ
माँ बेटे का ही बटवारा हो गया।
मेरी माँ बिन सारा जग सुना है
बिन माँ के जीवन भर रो दिया।
पाई पाई चुकाता तेरे कर्ज की
मैने माँ को पहले ही खो दिया।
जब कभी रूठा करता था माँ से
खुद खिलौना बन जाया करती थी
दर्द रहता माँ की कमर में मेरी
माँ पीठ पर अपनी मुझे घुमाया करती थी।
मैं अब बड़ा हो गया हूं
माँ से अलग खड़ा हो गया हूं
ना जाने क्यों याद बहुत आती है तेरी
क्यों माँ से अपनी अलग हो गया हूँ।
दुनिया ने मुझे कहा संभाला है
तेरे से अलग हर तरफ जाला है।
कैसे चुकाऊं तेरे कर्ज को मेरी माँ ।
सारी दुनिया से पहले तूने
नौ महीने मुझे पाला है।
मेरे मुंह पर हाथ रख
माँ बाल संवारती थी
आंखो में काजल डालती
फिर नजर उतरती थी।
अब कोई बाल मेरे
संवारने वाला नहीं
मुंह पर लगी मिट्टी
उसे पोछने वाला नहीं।
नहीं कोई माँ सा यहां लगता
अब कोई डांटने वाला नहीं।
छोड़ देता जिंदगी कब की
माँ की अमानत बचाई है
थोड़ा सा रो लेने दो मुझे
आज फिर माँ याद आई है।
जब मै लड़ पड़ता किसी से
मेरी माँ मुझे बहुत डांटती थी
कोई और मुझे जरा भी धमकाए
मेरी माँ तुरंत मेरे आगे खड़ी होती थी।
ये कैसा मोड़ आया है
माँ को कहा छोड़ आया है।
हे ईश्वर हे दाता हे माँ लिक
अब तो कुछ उद्धार करो।
भेज दो किसी अवतार को
जो मेरी माँ की खबर लाया है।
ना जाने क्यों मै बड़ा हो गया
आज माँ से अलग खड़ा हो गया।
सच पूछो तो माँ पृथ्वी से भी भारी है।
जो रुलाएगा माँ को फिर उसकी बारी है।
मैने शायरी बहुत कर डाली
मेरे हर पन्ने पे माँ का नाम लिखा था
कैसे भूल गया मै उस को
नौ महीने इस ने मुझे पेट मेे रखा था।
सब कुछ जोड़ कर देख लो
कही अधिक तो कहीं कम निकलेगा।
सारी दुनिया से मेरी माँ का प्यार नौ महीने ज्यादा निकलेगा।
मेरे लिए माँ ने क्या नहीं किया
ढूंढ कर देखो इस की यादों को
हरिद्वार से पैदल आ गई
मेरे हर एक सपने सजाने को।
मेरे लिए वो हर मन्दिर पूजा करती थी
कम खाना पड जाए कभी।
खुद भूखी रहकर मेरे लिए निकाल कर धरती थी।