आत्मनिर्भर
आत्मनिर्भर
तेरे पापों की नींव पर जग तुझे रहा है चेता
सदा अपनी सुपर शक्ति पर इतरा
सब्र मेरे देश का क्यों जाया जाएगा
जल्दी ही वो इस कहर से उबर जाएगा।
फिर से लौट आएगी सदाबहार बहारें
आत्मनिर्भरता की बयारें देश स्वावलंबी हो जाएगा
परावलंबी की बेड़ियों को तोड़ जाएगा।
जितनी ठोकरें खाएगा,
खरा सोने सा निखर जाएगा
जितना बेचारगी में जिएगा,
उतना ही बिखर जाएगा।
सपनों में कमी नहीं है
आँखों में नमी नहीं है
फौलाद से खेलने वाले की
मेहनत कश हाथों की कमी नहीं हैं।
कामचोर मेरा मुल्क नहीं
मेहनत पर कोई शुल्क नहीं
प्रतिभा वानों की सर जमीं पर
स्वावलंबी फौज की कमी नहीं।
आत्मनिर्भरता की राह में आए
चाहे आँधी और तूफान
दिलदार खड़े हैं सीना तान।
लक्ष्य है, देसी खाना और देसी खिलाना
राह में आने वाले रूकावटों को
ठोकर मार कर आत्मनिर्भर बन कर जीना।
