आओ पर्यावरण बचायें
आओ पर्यावरण बचायें
यह प्रकृति हम से नहीं, इस प्रकृति से हम हैं।
प्रकृति सरंक्षण हेतु हम जितना भी करे कम है।
पंच तत्व बन प्रकृति ही इस तन को निर्मित करती है।
सौंदर्य सुधा की सुरभि से सबको आकर्षित करती है।
जीवनदायी प्रकृति करती है सब का पालन पोषण।
निज स्वार्थ में हम कर बैठे इस देवी का शोषण।
भूमि हमको भोजन देती पर हम इसको विष देते।
दूषित करते उन नदियों को जिनसे हम जल लेते।
प्राणदायिनी वायु तक को भी हमने शुद्ध ना छोड़ा।
जला कोयला-डीजल-कूड़ा धुआँ हर तरफ छोड़ा।
जो वृक्ष हमें सौगात में देते फल-फूल और छाया।
काट काट कर काया उनकी अपना संसार बनाया।
ऊँचे हिमशिखर हों या फिर महासागर की गहराई।
दुर्गम सुदूर स्थानों पर भी प्लास्टिक हमने पहुँचाई।
एसी-फ्रिज-उपकरण हमारे ऐसी गैसें छोड़ रहे हैं ।
ओजोन परत जो हमें बचाती उसको ही तोड़ रहे हैं।
मानव जाति को ईश्वर ने दिया है बुद्धि का उपहार।
सोचो ये प्रकृति ही है अपने पूरे जीवन का आधार।
आओ मिल कर यह शपथ लें एक बदलाव लायेंगे।
स्वयं भी जागरूक बनेंगे और औरों को भी जगायेंगे।