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Vipin Saklani

Inspirational Children

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Vipin Saklani

Inspirational Children

आओ फिर एक दीप जलाएं

आओ फिर एक दीप जलाएं

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खुशियों की थी भरमार कभी,

कुछ कम सी अब हो गई है,

खुशियां मिले पुनः सभी को ,

आओ मिल ऐसा दीप जलाएं ।


लगते थे ठहाके हरपल जहां,

मुस्कुराना बीती बात हो गई,

थे हाथ पकड़ खूब टहलते जो,

अपनो की पहचान धूमिल हो गई।


आओ एकदूजे को गले लगाएं 

मिलकर खुशियों के दीप जलाएं।


एक आवाज पर मिल जाते थे जो,

वो मिलन हो रहा सोशल मीडिया पर,

घर तक छोड़ दिया आना–जाना 

कुशल–क्षेम पूछ रहे व्हाट्सएप पर 


घर पर कैद अब हरेक जिंदगी 

मुहल्ला आज लगता बेगाना।

मिटा दे मिलकर इस तिलिस्म को 

आओ इक प्रेम का दीया जलाएं ।


विपिन करे अरदास सभी से,

आओ मिलकर प्यार लुटाएं,

घर–घर प्यार का दीप जलाएं।

मिलकर सौहार्द दीप जलाएं ।


अपनेपन का अहसास कराएं,

पुनः अपनत्व का प्रकाश फैलाएं,

आत्मीयता का दीप जलाएं ,

चेहरे सबके खिल–खिल जाएं।



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