आओ हम दीप जलाएं !
आओ हम दीप जलाएं !
जहाँ -जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
हर ओर है तम छाया
इतने दीप कहाँ से लाएं
जहां-जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
एक भाव के आंगन में
एक आस की दहलीज़ पर
एक निज हिय के द्वार पर
एक सत्य के सिंघासन पर
तुम बनो माटी दीपक की
मैं उसकी बाती बन जाऊँ
जहाँ -जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
एक देह के तहखाने में भी
स्वप्निल तारों की छत पर भी
एक प्यार की पगडण्डी पर भी
खुले विचारों के मत पर भी
जले हम-तुम फिर बिन बुझे
तेल बन तिल-तिल जल जाए
जहाँ -जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
एक यारों की बैठक में
एक ईमान की राहों पर
एक नयी सोच की खिड़की पर
एक तरह तरह की हँसी के चौराहे पर
दीप की लौ जो कभी सहमे
तुफानो से उसे हम तुम बचाएं
जहाँ -जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
बचपन की गलियों में भी
और यादों के मेले में भी
अनुभव की तिजोरी में भी
और दौड़ती उम्र के बाड़े में भी
बाती की भी अपनी सीमा है
चलो उसकी भी उम्र बढ़ाते है
बाती को बाती से जोड़ देते है
जहाँ -जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
आज हार है निश्चित तम की
जग में ये आस जगा आएं
सुबह का सूरज जब तक आये
तब तक प्रकाश के प्रहरी बन जाए
जहाँ -जहाँ है तम गहराया
वहाँ-वहाँ हम दीप जलाएं
