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Kulwant Singh

Inspirational

4  

Kulwant Singh

Inspirational

आओ दीप जलाएँ

आओ दीप जलाएँ

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आओ खुशी बिखराएँ छाया जहां गम है

आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।

 

एक किरण भी ज्योति की

आशा जगाती मन में;

एक हाथ भी कांधे पर

पुलक जगाती तन में;

 

आओ तान छेड़ें, खोया जहाँ सरगम है

आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।

 

एक मुस्कान भी निश्छल

जीवन को देती संबल;

प्रभु पाने की चाहत

निर्बल में भर देती बल;

 

आओ हँसी बसाएँ, हुई आँखें जहाँ नम हैं

आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।

 

स्नेह मिले जो अपनो का

जीवन बन जाता गीत;

प्यार से मीठी बोली

दुश्मन को बना दे मीत;

 

निर्भय करें जीवन जहाँ मनु गया सहम है

आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।


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