आओ दीप जलाएँ
आओ दीप जलाएँ
आओ खुशी बिखराएँ छाया जहां गम है
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।
एक किरण भी ज्योति की
आशा जगाती मन में;
एक हाथ भी कांधे पर
पुलक जगाती तन में;
आओ तान छेड़ें, खोया जहाँ सरगम है
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।
एक मुस्कान भी निश्छल
जीवन को देती संबल;
प्रभु पाने की चाहत
निर्बल में भर देती बल;
आओ हँसी बसाएँ, हुई आँखें जहाँ नम हैं
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।
स्नेह मिले जो अपनो का
जीवन बन जाता गीत;
प्यार से मीठी बोली
दुश्मन को बना दे मीत;
निर्भय करें जीवन जहाँ मनु गया सहम है
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है।
