STORYMIRROR

Kulwant Singh

Romance

3  

Kulwant Singh

Romance

प्रणय गीत

प्रणय गीत

1 min
1.2K

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।

शीतल अनिल अनल दहकाती,

सोम कौमुदी मन बहकाती,

रति यामिनी बीती जाती,

प्राण प्रणय आ सेज सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।


ताल नलिन छटा बिखराती,

कुंतल लट बिखरी जाती,

गुंजन मधुप विषाद बढ़ाती,

प्रिय वनिता आभास दिला दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।


नंदन कानन कुसुम मधुर गंध,

तारक संग शशि नभ मलंद,

अनुराग मृदुल शिथिल अंग,

रोम रोम मद पान करा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

गीत प्रणय का अधर सजा दो।

स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance