आँसू
आँसू
आँसू यूँ ही बेवजह नही आते हैं
कभी सपने टूटते,कभी अरमान टूटते,
कभी दिल की लगी भी टूटू जाती है,
कभी आशा और निराशा में झूलता मन,
आँखों के कोरों से निकल जाता है।
आँसू यूँ ही बेवजह नही आते हैं
आँसू दर्द की निशा छोड़ जाते हैं,
कभी मजबूती के भरम को तोड़ते,
कभी हौसलों की अभेद्य दीवार को तोड़ते,
आँसू बेवजह नही आते हैं।
आँसू आते हैं ज़ख्म नासूर न बन सके,
आँसू आते हैं व्यथा को बहा ले जाने को,
आँसू आते हैं दिल के बंजर जमीन सींचने को,
आँसू आते हैं अपेक्षाओं के छूटने पर,
आँसू यूँ ही बेवजह नही आते हैं।
जब दिल पर गहरी चोट लगे तो आते हैं
जब दर्द असहय हो तो कोरों को भींगाते हैं,
जब अरमान मचलता हो तो बह जाते हैं,
जब खुद को समझा न सके तो निकल आते हैं
आँसू यूँ ही बेवजह नही आते हैं।