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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

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आनन्द रस

आनन्द रस

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हे! जगत के पालनकर्ता! संकटों से भयमुक्त तुम करना।


विष बन विषाणु छाया है जग में ,

चिंता ग्रस्त बन बैठा सबके मन में,

अंधकार रूपी तम, घात लगाए बैठा, जीवन में,

हे! जगत के संकटहर्ता! प्रेम रस रूपी, गुलाबी रंग तुम भरना।।


 रंग- बिरंगा अब कुछ नहीं भाता,

 काल-चक्र के मात्र तुम हो विधाता,

 "भस्मासुर" बन यह विष है तड़पाता,

 हे! विश्व के विश्वविधाता! आनन्द और जीवंतता रूपी, पीला रंग तुम भरना।।


 कैसी तुमने है यह लीला है रचाई,

 जीवन-पथ में ऐसी विपदा है आई,

 दूर हो रहे सब, हो कैसे मिलाई,

 हे! प्रह्लाद को बचाने वाले, शांति रूपी, सफेद रंग तुम भरना।।


 दुनिया के सब रंग तुमने हैं बनाये,

 पता नहीं क्यों काले बादल हैं छाये,

 "नीरज" बैठा तुमसे है आस लगाये,

 हे! जीवन -रंगों के रंगने वाले! इस होली में, "आनंद-रस" तुम भरना।।


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