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Ritvi Buch

Abstract Fantasy Inspirational

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Ritvi Buch

Abstract Fantasy Inspirational

आंखें....

आंखें....

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रोयी मेरी आंखें आज, 

किसी हद से बेखबर और ना किसी काज, 

हो गई थी आँसुओं से गीली,

वजह एक भी ना मिली, 

ख्याल था, ना किसकी खुशी ना किसके गम , 

दिल था, ख्वाबों के टूटने से नम,

सपनों की पेटी को बांध कर जला दिया उसने आज, 

जहां देखे थे सपने हो गए थे राख आज, 

ख्वाहिशों को समाकर दिल में, 

खोलूंगी आंखें आज, 

चुनौतियों के आगे, अब बंध नहीं होना आज,

रात जितनी भी भयानक हो,

उम्मीद के सूरज की किरणों का इंतजार कर अब, 

चल मेरी आंखें, खुल कर देख ले जिंदगी आज ।।


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