न्यारी हमारी कली
न्यारी हमारी कली
शांत वातावरण और मिटटी की महक थी,
अँधेरी रात में खिली एक कली थी,
बारिश की बूंदो ने स्वागत किया उसका,
पर घबरायी ऐसी परी थी,
मन्न को भी मोह दे, ऐसी उसकी नमी थी,
सुबह हुयी, कोयल की बोल गुंजी,
सूरज के किरणों को देख, मुस्काई कली,
खिलखिलाके हसने वाली, एकदम से अप्सरा जैसी,
सबके मैं को जोड़के प्यार बरसाने वाली, भवरों की प्यारी ऐसी हमारी कली थी.
