STORYMIRROR

अजय एहसास

Tragedy

5.0  

अजय एहसास

Tragedy

आँखें ये भर गई।

आँखें ये भर गई।

1 min
267


उत्थान देख गाँव की आँखें ये भर गई।

हालात देख गाँव की आँखें ये भर गई।

नाली, खड़ंजे छोड़ो सब वो टूटे फूटे हैं

दालान देख मुखिया की आँखें ये भर गई।


महिला को चुना मुखिया था इस भोली जनता ने

देखा पति -परधान तो आँखें ये भर गई।

भीतर वो अपने बंगले में रखा है भला क्या

मुखिया की लॉन देखकर आँखें ये भर गई।


देखा है कागज़ों पे सबको मिल गया आवास

सुखिया की देख झोपड़ी आँखें ये भर गई।

खाना था मिठाई लेकिन लैट्रिन में मज़ा था

दीवार गिरी देखकर आँखें ये भर गई।


परधानी से पहले जहां रहती थी साइकिल

अब कार खड़ी देखकर आँखें ये भर गई।

सीखें वो ऐसी नीति लड़ाने लगे है अब

अब गाँव बंटता देखकर आँखें ये भर गई।


खाते कभी तमाकू तो पी लेते थे बीड़ी

खुलती वो देख बोतलें आँखें ये भर गई।

है गगनचुम्बी बंगला जो परधान जी का है

छप्पर वो देख सुखिया की आँखें ये भर गई।


विधवा, वृद्धा पेन्शन के नाम पर लिए पैसे

खाते वो खाली देखकर आँखें ये भर गई।

कल तक जो थे छूते चरण और करते नमस्ते

ऐंठन अब उनकी देखकर आँखें ये भर गई।


इतिहास दोहराता है खुद को याद रखना तुम

'एहसास' जो किया तो फिर आँखें ये भर गई।

      


Rate this content
Log in