आँख से आँसू बहते हैं
आँख से आँसू बहते हैं
आज़ादी के मतलवालों की जब भी कहानी कहते है
कल्पना मात्र कर उस क्षण की हर आँख से आँसू बहते हैं
जलियांवाला बाग भी देता हम सब को यह सीख बड़ी
निर्ममता से गोली दागी जहाँ मौत भी ख़ुद चीख पड़ी
जब बलिदान वो जलियांवाला इतिहास के पन्ने कहते है
कल्पना मात्र कर उस क्षण की हर आँख से आँसू बहते हैं
शबनम की बूँदों में भी शोले दिखाई देते थे
खाने वाले फल भी उनको बम गोले दिखाई देते थे
कितनी जवानी फाँसी झूली ये सूने ने झूले कहते हैं
कल्पना मात्र कर उस क्षण की हर आँख से आँसू बहते हैं
आज़ादी की राह पे निकले बच्चों को सोता छोड़ गए
अपने इस देश की ख़ातिर माँ बाप को रोता छोड़ गए
पत्नी के मजबूर सतीत्व का हाल
आँखों आँसू कहते है
कल्पना मात्र कर उस क्षण की हर आँख से आँसू बहते हैं
उनके हौसलों के आगे संगीने भी हार गई
देश मेरा जीता रहे जान भले सो बार गई
मरते मरते ही सब मिलकर वन्देमातरम कहते हैं
कल्पना मात्र कर उस क्षण की हर आँख से आँसू बहते हैं
